मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिटठी बिन तार
छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार
आंखो भर आकाश है बाहों भर संसार
लेके तन के नाप को घूमें बस्ती गांव
हर चादर के घेर से बाहर निकले पांव
सबकी पूजा एक सी अलग अलग हर रीति
मस्जिद जाए मौलवी कोयल गाए गीत..
पूजा घर में मूर्ति मीरा के संग श्याम
जिसकी जितनी चाकरी उसके उतने दाम
नदिया सीचें खेत को तोता कुतरे आम..
सूरज ठेकेदार सा सबको बांटे काम...
सातों दिन भगवान के क्या मंगल क्या पीर...
जिस दिन सोए देर तक भूखा रहे फकीर..
अच्छी संगत बैठकर संगी बदले रुप
जैसे मिलकर आम से मीठी हो गई धूप..
सपना झरना नींद का...
जागी आंखे प्यास...
पाना खोना खोजना सांसो का इतिहास
चाहें गीता वाचिए या पढ़िये कुरान
मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ग्यान... .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 comments:
Post a Comment