पीड़ा का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि वह व्याख्यान का विषय बन कर रह जाए...राजकिशोर
परमजीत सिहँ बाली said...
सही कहा।
3 September 2008 at 6:50 pm
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परमजीत सिहँ बाली said...
सही कहा।
3 September 2008 at 6:50 pm